मंकीपॉक्स आ रहा है भारत || सरकार का सिर्फ नाम के लिए अलर्ट || इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर नहीं है खास इंतजाम

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(इनसाइड कंट्री न्यूज़ )मंकीपॉक्स बीमारी के बारे में आपके लिए जानना बेहद जरूरी है |मंकीपॉक्स बीमारी साउथ अफ्रीका में आज से तकरीबन 60 साल पहले 1958 में सबसे पहले पाई गई थी|इससे पीड़ित मरीजों के शरीर पर छोटे या बड़े दाने या पानी भरे दाने, या लाल बड़े चकत्ते आ जाते हैं जिसे हम चेचक भी कह सकते हैं हालांकि चेचक का इलाज भारत सहित कई देशों में उपलब्ध है और मंकी पॉक्स के लक्षण भी चेचक जैसे ही हैं|

मंकीपॉक्स को चेचक का बिगड़ा रूप कहे तो गलत नहीं होगा, क्योंकि चेचक में शरीर पर दाने थोड़े छोटे होते हैं और मंकीपॉक्स में दाने बड़े होते हैं |भारत में इसका अभी मंकीपॉक्स का कोई केस देखने को नहीं मिला है हालांकि यह एक देश से शुरू होकर अब तक तकरीबन 15 देशों तक मंकीपॉक्स वायरस पहुंच चुका है|

 

मगर बड़ा सवाल यह है कि मंकीपॉक्स से बचने के लिए मुख्य रूप से अभी सिर्फ चेचक और उससे संबंधित दवाइयां टीके और बचाव ही है,

 

-क्या भारत को मंकीपॉक्स से डरने की जरूरत है-

 

हां कह सकते हैं कि भारत को इस वॉयरस से सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि विदेशों से आने वाले लोग,खासतौर पर उन देशों से आने वाले लोग जो मंकीपॉक्स से पीड़ित हैं उन देशों से यदि कोई व्यक्ति हमारे देश आता है तो मंकीपॉक्स वॉयरस भारत में भी मिल सकता है या वायरस उसके द्वारा ट्रांसफर हो सकता है

वही अगर विशेषज्ञों की मानें तो मंकीपॉक्स के फैलने की मुख्य वजह अभी तक किसी को मालूम नहीं है

-मंकीपॉक्स कैसे फैलता है-

 

प्रारंभिक जानकारी में सामने आया है की मंकीपॉक्स बंदरों से और कुतरने वाले जानवरों से फैलता है यदि यदि मंकीपॉक्स से पीड़ित कोई जानवर किसी फल को खाता है या कुतर देता है और वही फल इंसान खाता है तो उसके मंकीपॉक्स होने की सम्भवाना हो जाती हैं.

मंकीपॉक्स का कोई भी मामला अभी भारत में नहीं आया है हालांकि कुछ लोगों में इसकी चिंताएं बहुत ज्यादा दिख रही हैं तो लोगों को सावधान रहने की जरूरत है|

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