रूस और यूक्रेन में जंग जारी जानिए भारत और यूक्रेन के रिश्ते भी जंग से कम नहीं
(ब्यूरो रिपोर्ट इंसाइड कंट्री न्यूज़) *क्या भारत को यूक्रेन का समर्थन करना चाहिए और रूस के साथ इस मसले पर यूक्रेन का पक्ष लेना चाहिए। इस सवाल का जवाब देने से पहले हमे भारत और यूक्रेन के बीच पिछले कुछ सालों में संबंध कैसा रहा है इसके बारे में समझना होगा। हमे यह समझना होगा कि जब भारत पर दुनियाभर का दबाव था तो उस वक्त यूक्रेन ने भारत के साथ कैसा बर्ताव किया था किसी भी फैसले से पहुंचने से पहले भारत और यूक्रेन के बीच के पुराने रिश्ते काफी अहमियत रखते हैं। जब आप अपने देश के बारे में अच्छा सुनते हैं तो अच्छा जरूर लगता है लेकिन क्या इतिहास इसका समर्थन करता है, यह काफी मायने रखता है।
*भारत का खुलकर विरोध कर चुका है यूक्रेन*
यूक्रेन सोवियत यूनियन से 1991 में अलग हो गया था जब सोवियत यूनियन का विघटन हुआ था। यानि यूक्रेन को अलग देश बने तकरीबन 31 साल हो चुके थे । इस दौरान भारत और यूक्रेन के बीच के रिश्ते कुछ खास नहीं रहे। भारत और यूक्रेन के बीच ट्रेड की बात करें तो यह लगभग ना के बराबर है। यूक्रेन ने ना ही किसी भी अहम मसले पर भारत की मदद की है। यहां अहम बात गौर करने वाली यह है कि जब 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए थे तो दुनियाभर के कई देशों ने भारत की आलोचना की थी, जिसमे यूक्रेन भी शामिल था।
*रूस भारत का अहम साथी*
जब भारत ने पोखरण में टेस्ट किया था तो यूएन में इसको लेकर चर्चा हुई थी। यूएन में भारत का रूस ने साथ पूरी तरह से साथ दिया था और यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में भारत के पक्ष में वीटो का भी इस्तेमाल किया था। उस वक्त फ्रांस के प्रतिनिधि ने भारत के खिलाफ निंदा शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था। उन्होंने कहा था कि भारत को सीटीबीटी में शामिल होना चाहिए, संचनात्मक तरीके से काम करनी चाहिए। जबकि यूक्रेन ने कहा था कि हमने दुनिया के तीसरे सबसे बड़े परमाणु हथियारों को अपने से रूस को दे दिया था। ऐसे में भारत परमाणु परीक्षण कर रहा है, हम इसकी निंदा करता है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु हथियारों को कम करने के अभियान का भी उल्लंघन किया है। ऐसे में साफ है कि यूक्रेन ने यूएन में भारत की बढ़-चढ़कर निंदा की थी।
ऐसा कई बार हो चुका है कि यूक्रेन ने भारत की कई मुद्दों पर निंदा की है.